भारत -नेपाल सीमा रक्सौल से -
रक्सौल पूर्वी चम्पारण बिहार
राज्य के सभी जिलों में वट सावित्री पूजा की धूम मची है। गुरुवार की सुबह से ही रक्सौल के विभिन्न जगहों पर वट वृक्ष के नीचें लाल साड़ी और चुन्नरी में सोलहों श्रृंगार से सजी महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करने के लिए पहुंची। इस दौरान कोरोना गाइडलाइन की जमकर अनदेखी की गई। नियमों की धज्जियों उड़ाई गई। पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष में मोली बांधने के लिए महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। गांव से लेकर शहर की गलियों तक यही स्थिति देखने को मिला।
मॉस्क और सोशल डिस्टेंसिंग फेल
खास बात यह है कि बेशक कोरोना की रफ्तार फिलहाल थमी है पर खत्म नहीं हुई है।इसके बावजूद महिलाएं ने कोविड-19 की तमाम गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाने में जुटी है। न मास्क और न ही दो गज की दूरी पूजा के दौरान नजर आई। सजने संवरने और पूजा अर्चना के चक्कर में महिलाएं कोरोना की भयावहत से बेखबर नजर आ रही है। जिस किसी ने मास्क पहन भी रखा तो उनके मास्क गले में लटके हैं। पूजा के दौरान भीड़ का आलम ऐसा बना है कि वट वृक्ष के निकट न तो पैर रखने की जगह ही है और न ही बैठने की जगह। व्रतियों के बीच पूजा करने की जल्दबाजी ऐसी की कि एक दूसरे धक्का-मुक्की करती हुई नजर आईं।
महिलाओं ने सुनी सावित्री कथा
इस धक्का मुक्की में किसी महिला की पूजा की थाल गिर रहे हैं तो किसी के हाथ वाले पंखे खो रहे हैं। तो किसी का कोई सामान ही खो गया। जिन व्रतियों के हाथ के पंखे खो जा रहे हैं तो वह तनाव में आ जा रही हैं। क्योंकि हाथ वाले पंखे से ही व्रतियों को अपने पति को पंखा झलाना था। ताकि उनके पति का मन मस्तिष्क में शीतला बनी रही और जीवन सुचारु रूप से चलता रहे। इस आपाधापी के बीच वट सावित्री की कथा भी पंडित जी बांचते रहे। अचरज की बात है कि समाज को धर्म, शास्त्र, न्याय की शिक्षा दीक्षा देने वाले ब्राह्मण भी कोरोना की गाइड लाइन की धज्जियां उड़ाने में थोड़ा भी पीछे नहीं रहे। बगैर मास्क के ही जमीन पर आसन्न लगा पालथी मार कर बैठे पंडित झूम-झूम कर महिला व्रतियों के बीच वट सावित्री की कथा बांचने में जुटे हैं। पूजा को लेकर महिलाओं में गजब का उत्साह भी बना हुआ है।
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