रक्सौल, पूर्वी चम्पारण, बिहार
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 23 जुलाई को शुक्रवार सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू हुई। 24 जुलाई दिन शनिवार को सुबह 08 बजकर 06 मिनट पर समाप्त हो गई। उदया तिथि 24 को प्राप्त है, इसलिए इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई को मनाई गई।अंत में काली मन्दिर में भारत व नेपाल से पहुंचें सभी भक्तों को गुरू पर्व के अवसर पर गुरू महोत्सव के साथ भंडारे का भी आयोजन के तहत भोजन कराया गया।
गुरू से आशीर्वाद प्राप्त करने वालों में स्वामी मुक्तिनाथ उर्फ अल्टर बाबा, रामसुरत दास, पूजारी संजीत मिश्रा, अखिलेश्वर सिंह, नंदा सिंह, संजय सहाय, अभिषेक वर्मा, अभिजित सिन्हा, राजेश त्रिपाठी, सहित अन्य शामिल थे।
गुरु पूर्णिमा का महत्व-
पूर्णिमा तिथि हिंदू धर्म के अनुयायियों के बीच बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। जब यह पूर्णिमा तिथि आषाढ़ मास के शुक्ल में पड़ती है तो इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। गुरु पूर्णिमा पर्व पर गुरुओं को प्रणाम करना और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान के प्रति आभार व्यक्त करना है। इस दिन शिष्य अपने गुरु को सम्मान देते हैं और उन्हें गुरु दक्षिणा भेंट कर अपना आभार प्रकट करते हैं।धार्मिक मान्यता है कि वेद व्यास जी का जन्म आषाढ़ मास की पूर्णिमा को हुआ था। इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। इससे आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है। साल 2021 में गुरु पूर्णिमा यानी व्यास पूर्णिमा 24 जुलाई को है। ऐसा माना जाता है कि वेद व्यास जी ने पहली बार चारों वेदों का ज्ञान दिया था। इसी कारण महर्षि व्यास जी को प्रथम गुरु की उपाधि दी गई है। गुरु पूर्णिमा के दिन बौद्ध धर्म के लोग गौतम बुद्ध के सम्मान में इस दिन को मनाते हैं। गौतम बुद्ध ने पूर्णिमा के दिन अपना पहला उपदेश सारनाथ, उत्तर प्रदेश, में दिया था। कबीर दास ने अपने प्रसिद्ध दोहे, गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय। कबीर दास ने इस दोहे के माध्यम से कहा है कि गुरु गोविंद यानि भगवान दोनों साथ खड़े हैं, ऐसे में सबसे पहले प्रणाम किसे करना चाहिए? उन्होंने कहा हिया कि ऐसे में सबसे पहले प्रणाम गुरु को ही करना चाहिए, क्योंकि भगवान का ज्ञान गुरु से ही होता है। गुरु ही अपने शिष्य का सही मार्गदर्शन करते इसलिए गुरु का दर्जा भगवान से ऊपर दिया गया है। मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा से ही वर्षा ऋतु का आरंभ होता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान का भी विशेष पुण्य है। इस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि व्यास का जन्मदिन भी मनाया जाता है। इसीलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
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