गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः। पढ़ें

 रक्सौल, पूर्वी चम्पारण, बिहार 

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 23 जुलाई को शुक्रवार सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू हुई  24 जुलाई दिन शनिवार को सुबह 08 बजकर 06 मिनट पर समाप्त हो गई। उदया तिथि 24 को प्राप्त है, इसलिए इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई को मनाई गई। 

आषाढ़शुक्ल पूर्णिमा के अवसर पर सीमावर्ती इलाके के प्रसिद्ध काली मन्दिर में शनिवार को गुरू पूर्णिमा का पर्व  कालीन्यास रक्सौल के पीठाधीश्वर सेवक संजय नाथ के सानिध्य में गृहस्त व साधु संत भक्तों ने कोरोना गाईडलाइन के नियम का पालन करते हुए श्रद्धा उल्लास के साथ मनाया।
उपस्थित सभी हजारों  गृहस्थ व साधु संत भक्तों ने गुरू की पूजा अर्चना कर खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त किए 
अल्टर बाबा ने कहा कि गुरू पूर्णिमा के दिन साक्षात गुरूदेव के दर्शन व पूजा से सफलता के द्वारा स्वतः खुल जाते हैं और बल बुद्धि में वृध्दि होती है। 
अन्य भक्त संत सौरव ने भी गुरु के प्रति अपनी समर्पण की भावना को प्रकट करते हुए कहा कि गुरु करे सब होय, सात द्वीप नौ खंड में गुरु से बड़ा न कोय,  मैं तो सात समुद्र की मसीह करु, लेखनी सब बदराय सब धरती कागज करु पर, गुरु गुण लिखा ना जाय"। 

अन्य भक्त ने कहा कि  गुरु हर व्यक्ति के अंदर ऊर्जा का स्रोत हैं, गुरु ही इन शक्तियों से परिचित कराते हैं।
उपस्थित शिक्षक भक्त अशोक ने कहा कि महाभारत में श्रीकृष्ण, अर्जुन के गुरु की भूमिका में थे। उन्होंने अर्जुन को हर उस समय थामा, जब वे लड़खड़ाते नजर आए।
गुरु को ब्रह्मा कहा गया, क्योंकि वह शिष्य को नया जन्म देते हैं। गुरु विष्णु भी हैं, क्योंकि वे शिष्य की रक्षा करते हैं। गुरु महेश्वर भी हैं, क्योंकि वे शिष्य के दोषों का संहार करते हैं। इंसान स्वयं की शक्तियों से परिचित हो, इसके लिए गुरु की जरूरत पड़ती है। 

एक अन्य गृहस्थ भक्त पिंटु ने कहा कि  गुरु पूर्णिमा का बहुत महत्व है। गुरु शब्द दो अक्षरों से बना है 'गु' और 'रु'। ये दोनों अक्षर संस्कृत से लिए गये हैं, जिसमें 'गु' का अर्थ होता है 'अंधकार' और 'रु' का अर्थ होता है, जो आपके जीवन से उस अंधकार को मिटाता है उसे गुरु कहा गया है। 'गुरु हैं पूर्णिमा का चांद'। 'सारा धर्म एक महाकाव्य है। आषाढ़ की पूर्णमा बड़ी अर्थपूर्ण हैं। एक तो आषाढ़, पूर्णिमा में बादल घिरे होंगे, आकाश खुला न होगा, चांद की रोशनी भी पूरी नहीं पहुंचेगी और भी प्यारी पूर्णिमाएं हैं, शरद पूर्णिमा है, तो उसको क्यों न चुन लिया गया? लेकिन चुनने वालों का कोई खयाल है, कोई इशारा है। वह यह है कि गुरु तो होते हैं। 

अंत में काली मन्दिर में भारत व नेपाल से पहुंचें सभी भक्तों को 
गुरू पर्व के अवसर पर गुरू महोत्सव के साथ भंडारे का भी आयोजन के तहत भोजन कराया गया। 

वही दुसरे दिन काली मंदिर में रविवार को एक सादे कार्यक्रम के बीच साधु-संतो की विदाई की गयी। कालीन्यास रक्सौल के पीठाधीश्वर सेवक संजय नाथ के द्वारा देश के अलग-अलग हिस्सो तथा नेपाल से आये साधु-संतो को विदाई दी गयी। विदाई कार्यक्रम के दौरान महिला श्रद्धालुओ को साड़ी व साधु संतो को अंगवस्त्र देकर विदा किया गया।

गुरू से आशीर्वाद प्राप्त करने वालों में स्वामी मुक्तिनाथ उर्फ अल्टर बाबा, रामसुरत दास, पूजारी संजीत मिश्रा, अखिलेश्वर सिंह, नंदा सिंह, संजय सहाय, अभिषेक वर्मा, अभिजित सिन्हा, राजेश त्रिपाठी, सहित अन्य शामिल थे।

गुरु पूर्णिमा का महत्व-

पूर्णिमा तिथि हिंदू धर्म के अनुयायियों के बीच बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है जब यह पूर्णिमा तिथि आषाढ़ मास के शुक्ल में पड़ती है तो इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं गुरु पूर्णिमा पर्व पर गुरुओं को प्रणाम करना और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान के प्रति आभार व्यक्त करना है इस दिन शिष्य अपने गुरु को सम्मान देते हैं और उन्हें गुरु दक्षिणा भेंट कर अपना आभार प्रकट करते हैंधार्मिक मान्यता है कि वेद व्यास जी का जन्म आषाढ़ मास की पूर्णिमा को हुआ था इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं इससे आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है साल 2021 में गुरु पूर्णिमा यानी व्यास पूर्णिमा 24 जुलाई को है ऐसा माना जाता है कि वेद व्यास जी ने पहली बार चारों वेदों का ज्ञान दिया था इसी कारण महर्षि व्यास जी को प्रथम गुरु की उपाधि दी गई है गुरु पूर्णिमा के दिन बौद्ध धर्म के लोग गौतम बुद्ध के सम्मान में इस दिन को मनाते हैं गौतम बुद्ध ने पूर्णिमा के दिन अपना पहला उपदेश सारनाथ, उत्तर प्रदेश, में दिया था। कबीर दास ने अपने प्रसिद्ध दोहे, गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय कबीर दास ने इस दोहे के माध्यम से कहा है कि गुरु गोविंद यानि भगवान दोनों साथ खड़े हैं, ऐसे में सबसे पहले प्रणाम किसे करना चाहिए? उन्होंने कहा हिया कि ऐसे में सबसे पहले प्रणाम गुरु को ही करना चाहिए, क्योंकि भगवान का ज्ञान गुरु से ही होता है गुरु ही अपने शिष्य का सही मार्गदर्शन करते इसलिए गुरु का दर्जा भगवान से ऊपर दिया गया है। मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा से ही वर्षा ऋतु का आरंभ होता है इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान का भी विशेष पुण्य है इस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि व्यास का जन्मदिन भी मनाया जाता है इसीलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है

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