भारतीय पत्रकार के साथ नेपाल के.......क्या किया? पढ़े...।

 

भारत नेपाल हमारी साझा विरासत, सुरक्षा के नाम पर दरक रहा रिश्ता


 भारत-नेपाल बोर्डर हमारी विरासत उसको दखल करने की नहीं हो कोशिश 

अमरेन्द्र तिवारी : कोराना के नाम पर बार्डर पर सुरक्षा के नाम पर जो किया जा रहा उससे आम लोगाें में नाराजगगी बढ़ रही। हकीकत यह कि टीकाकरण के साथ मरीज भी करीब-कराीब दोनों देश की सीमा पर शून्य है। एक तरह से देखा जाए कि भारत नेपाल की सूुरक्षा हमारे पुर्वज के जमाने से होता रहा। इसकेा परिणाम यह रहा कि नेपाल में राजशाही या लोकतंत्र बहाल हुआ लेेकिन उसमें भारत की दखलअंदाजी नहीं हुई। राजनीति हलचल के बीच सीमा सदियों से सुरक्षित रहा और आज भी है। यह सुरक्षा बेटी-रोटी यानी जनस्तर संबंध की ताकत से रही। दोनों देश की समाजिक व पारिवारिक विरासत की तरह यह सीमा है। जिस तरह से अपने-अपने घर में पूर्वज बाप-दादा, परदादा कुछ पैतृक संपति जैसे जमीन-जायदाद, मठ-मंदिर, कुछ पर्व-त्योहार पूजा-पाठ को छोड़कर जाते है। उसकी रक्षा व उस परंपरा का हम निर्वाह करते है। उसी तरह से भारत-नेपाल खुली सीमा को एक विरासत यानी धरोहर के रूप में हमारे पूर्वज दादा-परदादा छोड़ गए है। उसको सुूरक्षित रखना, व्यवस्थित रखने का दायित्व हमारी है। ऐसा मानना है भारत-नेपाल सीमा से जुड़े संचारकर्मी यानी पत्रकारों का। बोर्डर की सुरक्षा के नाम पर बोर्डर की घेराबंदी करने की इधर लगातार कोशिश चल रही जिसको लेकर जगह-जगह तनाव दिख रहा है। नेपाल के वरीय संचारकर्मी पत्रकार महासंघ के सचिव दीपेन्द्र चौहान मानते है कि सुरक्षा के नाम पर इन दिनों बोर्डर परएसएसबी के साथ नेपाल सीमा पर तैनात सुरक्षाकर्मी रवैया व नजरिया नकरात्मक है। भारत के जो एसएसबी के जवान है व नेपाल बोर्डर को पाकिस्तान व चीन बोर्डर की तरह देख रहे है। यह कहीं से उचित नहीं है। एसएसबी के अधिकारी व जवान को चाहिए कि वह अपने व्यवहार में परिवर्तन करे तथा बेटी-रोटी के रिश्ते के नजर से बोर्डर हो देखे। मै उनकी बात से सहमत हूं।  मेरा भी मानना है कि एसएसबी के जवानों को विशेष प्रशिक्षण की जरुरत है। किस तरह से बदलते परिस्थति में सुरक्षा, सौहार्द बना रहे इसके लिए क्या रास्ता निकले यह जरूरी हैॅ। 

बोर्डर हमारी विरासत उसको दखल करने की नहीं हो कोशिश 



मेरा मानना है कि नेपाल-भारत बोर्डर हमारी विरासत है इसको सुरक्षा के नाम पर दखल करने की कोशिश को जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। इन दिनों बोर्डर पर दोनों देश के सुरक्षा प्रहरी दखल करके रखे हुए है। आवाजाही रोकना, नित्य दिन खाने पीने के समान को रोककर बेवजह परेशान करने की कोशिश अच्छी नही। इस रवैया से हमारे भारत व नेपाल का रिश्ता बदनाम हो रहा है। एसएसबी के जो अधिकारी व जवान है उनको यह देखना चाहिए कि राष्ट्रविरोधी ताकत का प्रवेश न हो। वह इनदिनों यह देख रहे कि कितना नेपाली व भारतीय इधर से उधर जा रहा। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेपाल की लगातार यात्रा कर यह कह चुके है कि सीमा एक सेतु है एक दूसरे को जोड़ने की। हमारा रिश्ता इतना प्रगाढ की कोई तोड़ नहीं सकता। इसका भी ख्याल बोर्डर पर तैनात सुरक्षा कर्मी को करना पड़ा

कोराना के नाम पर बंदी को लेकर खुलकर बोले पत्रकार 



 वीरगंज नेपाल के पत्रकारों से मिलकर बोर्डर पर रिश्ते व सुरक्षा के बीच चर्चा करने का अवसर मिला। हर पीढ़ी के पत्रकार हमारे साथ चाय पर चर्चा की। सबने माना कि सुरक्षा हो लेकिन रिश्ते का ख्याल किया जाए। मीडिया फार बार्डर हार्मोनी के नेपाल अध्यक्ष वरीय पत्रकार व स्तंभकार अनिल तिवारी ने कहा कि नेपाल के अधिकारी व कु़छ व्यवसाय से जुडे संगठन को मानसिकता बदलनी होगी। ताजा उदाहरण देते हुए बताया कि जिस तरह से अभी प्रधान मंत्री शेर बहादूर देउवा ने मंत्री परिषद से आदेश दिया कि भारत-नेपाल सीमा को सुचारु किया जाए। उसके बाद से जो आदेश आया उसमेें भारत का जिक्र होना चाहिए। लेेकिन पत्र के दांव-पेंच के कारण आम जनता को परेशानी है। नेपाल के पत्रकार रेडियो बीरगंज के कार्यकारी अध्यक्ष ध्रुव साह कहते है कि भारत से नेपाल का रिश्ता मजबूत है। हर घर-घर का रिश्ता है। पत्रकार साह ने बताया कि कुछ दिन पहले यहां से एक दर्जन पत्रकार की टोली भारत भ्रमण पर गई। मीडिया फार बार्डर हार्मोनी से जुडे पत्रकारों ने रक्सौल सीमा से अभिनंदन शुरू किया। सुगौली, चकिया, मुजफ्फरपुर कांटी, वैशाली में सम्मान यादगार रहा। भारत में वैणणव देवी, स्वर्ण मंदिर से लेकर जम्मू सब जगह ऐसा सम्मान मिला जिसका वर्णन नहीं हो सकता। इस रिश्ता को दोनों देश के बार्डर पर तैनात सुरक्षा कर्मी को समझना होगा। बोर्डर हमारी विरासत व भारत का एक-एक नागरिक हमारी माता सीता के संतान की तरह है। इस भाव को लेकर चलना होगा। साह ने दोनों सरकार नेपाल व भारत को सुूझाव दिया कि इस बोर्डर पर तैनात सुरक्षाकर्मी को साल में एक दो बार कम से कम रिश्ते पर प्रशिक्षण देने की जरूरत है। वीरगंज में  आयोजित संवाद में शामिल नेपाल के वरीय पत्रकार मीडिया फार बार्डर हार्मोनी के उपाधयक्ष राम सर्राफ, महासचिव वरीय पत्रकार रितेश त्रिपाठी,  फेडरेशन ऑफ नेपाली जर्नलिस्ट्स (एफएनजे) के केंद्रीय सचिव दीपेंद्र चैहान, सीमा मेला सद्भाव नेपाल के अध्यक्ष अनिल तिवारी, समाजवादी प्रेस संगठन के नेता बृज लाल पासवान, वरीय पत्रकार आरके पटेल, मनोज पटेल, नरेश सराफ, शंभू कुमार सुमन, हरिशंकर शर्मा, एसएम जहान गस्त, उदय दास ने खुलकर कहा कि भारत-नेपाल के बीच जो रिश्ता है वह सदियों पुराना है। रिश्ते को मजबूत रखते हुए सुरक्षा होनी चाहिए ताकि हमारा साझा विरासत बचा रहे और दुनिया केे सामने एक रिश्ते की मिशाल कायम हो। 

बार्डर के पत्रकार भी चाहते बंधी रहे रिश्ते की डोर 



नेपाल यात्रा के क्रम में पूर्वी चम्पारण के घोड़ासहन में पत्रकारों के साथ भेंट हुई। वहां पर भी बिहार पुलिस से लेकर एसएसबी की तैनाती तक के सफर पर चर्चा हुई। सबने माना कि एसएसबी को जिस काम के लिए तैनात किया गया था वह अभी हाल के दिनों में शत प्रतिशत नहीं हो रहा। जो चिंता का विषय है। भारत नेपाल का निकट पड़ोसी है वहां के लोग अच्छे तरह से रहे,बेहतर शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के साथ वहां हर क्षेत्र में विकास हो ताकि चीन जैसी विदेशी ताकत सक्रिय रिश्ते को बदनाम नहीं कगर सके। इसमें हमारे एसएसबी के जवानों की भूमिका अहम है। जिसकाे वह समझे। समय-समय पर उनको रिश्ते की समझ बढ़ाने का प्रशिक्षणा मिलना ही चाहिए। मीडिया फार बार्डर हार्मोनी के सिकरहना विधानसभा के अध्यक्ष राजू सिंह, नरकटिया विधानसभा के अध्यक्ष राहुल कुमार के वरीय पत्रकार लालबाबू सिंह, मुनेन्द्र सिंह, रंधीर मिश्रा, संजीव जायसवाल, अभिमन्यू यादव, दिलीप कुमार के साथ मिलकर संवाद करने का अवसर मिला। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ