मुजफ्फरपुर,
बोचहां विधानसभा उपचुनाव के दौरान बिहार की राजनीति का चक्र इतनी तेजी से घूमा कि सभी हतप्रभ रह गए। जिस अंदाज में वीआइपी के तीन विधायकों का विलय भाजपा ने अपनी पार्टी में कराया, वह चौंकाने वाला था। हालांकि इस बात की आशंका वीआइपी सुप्रीमो व सन आफ मल्लाह मुकेश सहनी को भी पहले से ही था। बिहार विधानसभा में शून्य पर आने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए सीएम नीतीश कुमार के मंत्री मुकेश सहनी ने कहा कि मेरे खिलाफ चल रही साजिश का मुझे अंदाजा था। जिस रूप में चीजें हुईं, वह गलत है। बहरहाल, इस घटनाक्रम के संपन्न होने के बाद लोगों के मन में एक सवाल है कि आखिर वीआइपी में ऐसा क्या हुआ कि तीनों ही विधायक ने पार्टी से नाता तोड़ने का मन बना लिया? दूसरा सवाल यह कि जब मुकेश सहनी को इस बात का अंदेशा था तो उन्होंने डैमेज कंट्रोल के लिए कोई उपाय क्यों नहीं किए? क्या ये विधायक उनकी बातों का पालन नहीं करते थे? वे मुकेश सहनी के नियंत्रण से बाहर हो चुके थे? उनके एक सहयोगी ने इसकी वजह साफ की है। वीआइपी के अर्श से फर्श पर आने की इस वजह की चर्चा मीडिया में नहीं हो रही है। उनका दावा है कि यही सही वजह है। जो वजहें दिखाई जा रही हैं, वह केवल दिखाने के लिए ही हैं। सही वजह नहीं है।
यूपी विधानसभा चुनाव मूल कारण नहीं
23 मार्च 2022 को बिहार की राजनीति में जो बवंडर उठा था वह अब थोड़ा-थोड़ा शांत होता दिख रहा है, किंतु वह अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या मुकेश सहनी की पार्टी में टूट की वही वजहें हैं जो मीडिया में दिखाई जा रही हैं? क्या इससे अलग भी कुछ है? यदि हां, तो वह क्या है? इन प्रश्नों का अलग सा जवाब मुकेश सहनी के सहयोगी रहे मुजफ्फरपुर की साहेबगंज सीट से विधायक राजू सिंह ने दिया है। वैसे भी वे बिना लाग लपेट के अपनी बातों को रखने के लिए जाने जाते हैं। राजू सिंह कहते हैं कि मीडिया में वीआइपी के यूपी चुनाव में उतरने को इस घटना के पीछे के मूल कारण के रूप में प्रोजेक्ट किया जा रहा है। जबकि ऐसा नहीं है। यूपी विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी का जाना इस फैसले के मुख्य कारणों में से केवल एक है, सबसे महत्वपूर्ण नहीं।
प्राइवेट कंपनी की तरह काम
साहेबगंज विधायक कहते हैं कि वीआइपी में रहते हुए हमलोगों को कभी यह महसूस नहीं हुआ कि वे किसी राजनीतिक दल से जुड़े हैं। वहां एक प्राइवेट कंपनी की तरह काम होता है। एक एमडी की तरह मुकेश सहनी सभी फैसले करते हैं। उन्होंने अफसोस भरे स्वर में कहा कि विधानसभा सत्र या फिर किसी भी अन्य मौके पर विधायकों से बात नहीं की जाती थी। पार्टी की कोई बैठक नहीं होती थी। इस दौरान जो भी फैसले लिए गए वे केवल और केवल मुकेश सहनी जी ने लिए। हमलोग विधायक हैं, किसी कंपनी के कर्मचारी तो नहीं। इस स्थिति में वहां काम करना मुश्किल होता जा रहा था। दूसरी बात, हमलोग पूर्व में भाजपा से जुड़े रहे हैं। पार्टी के आदेश पर ही वीआइपी के सिंबल के साथ चुनाव में गए थे अौर अब फिर से अपने घर लौट आए हैं। मुकेश सहनी की इस राजनीतिक कार्यशैली ने सहयोगियों को दुखी कर रखा था। यही वजह है कि यह घटनाक्रम हुआ।
[वरीय पत्रकार बाबा की कलम से ......]
0 टिप्पणियाँ