जेपी का बीजेपी व मुकेश सहनी की प्रतिष्ठा की सीट बनी बोचहां से रहा है कमाल का नाता, उनके कार्य के बारे में जानकर हो जाएंगे गदगद

 2022 जेपी की धरती पर अब लोकतंत्र की भूख को देखना इसकी मजबूत हो रही जड़ का परिचायक है। कभी यह नक्सल आंदोलन का केंद्र हुआ करता था। उनमें लोकतंत्र के प्रति आस्था गजब की आस्था

मुजफ्फरपुर, 


आज बोचहां विधानसभा सीट हर दिन सुर्खियों में रह रही है। यह बीजेपी और वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहनी की प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। यहां हो रहे उपचुनाव में इस बार कांटे की टक्कर की बात कही जा रही है। मुकाबला त्रिकोणिय होने की उम्मीद की जा रही है। यहां के मतदाता जिस तरह से खुलकर अपनी बातों को विभिन्न समाचार माध्यमों में प्रकट कर रहे हैं उससे उनके राजनीतिक समझ और उनकी लोकतंत्र के प्रति आस्था को सहज ही समझा जा सकता है, किंतु शुरू से ही ऐसा नहीं था। वर्ष 1970 और उससे पहले यह नक्सल आंदोलन का केंद्र था। लोगों का इन लोकतांत्रिक परंपराओं से दुराव था, लेकिन जब लोकनायक जयप्रकाश नारायण यहां आए तो उन्होंने कमाल का काम किया ऐसा काम जो आज तक लोग याद कर रहे।

नक्सलियों के साथ संवाद किया

जेपी की कर्मभूमि रही बोचहां विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा है। उसको लेकर यहां पर एक बार जनता के अंदर लोकतंत्र में अपने वोट के अधिकार को लेकर भूख जगी है। जेपी 1970 में यहां आए। उस समय यहां नक्सली आंदोलन परवान पर था। उन्होंने नक्सलियों के साथ संवाद किया। उसके बाद एक माहौल बना। नक्सलवाद विचारधारा वालों को लोकतंत्र से जोड़ा। जेपी आंदोलन के बाद इलाके में नक्सल की समस्या खत्म हो गई। जेपी ने जिस धरती पर नक्सलवाद को खत्म कर विकास की नींव डाली, आखिर इसपर जनप्रतिनिधि कितने खरे उतरे। जनता इन सब संभावनाओं को तलाश रही है। अभी इस इलाके के लोगों को कई बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है। जेपी के सहयोगी रहे परमहंस कहते है कि उन्होंने मुशहरी के समग्र विकास की कल्पना की। उस समय सड़क, बिजली, हर खेत में पानी की सुविधा के साथ कुटीर व लघु उद्योग को बढ़ावा देने का काम किया। अभी इस इलाके में दरभंगा फोरलेन से जोडऩे वाले आथरघाट पुल व चंदवारा घाट पुल का निर्माण अधूरा है। यहां पीएचसी है, लेकिन जिस हिसाब से मरीजों की उपचार की सुविधा मिलनी चाहिए, वह नहीं हो रहा है।

जेपी ने मुशहरी में पड़ाव डाला था। उन्होंने गांव का सुलझाने के लिए ग्राम सभा की स्थापना की थी। नक्सल व अपराध से जुड़े 107 लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए आत्मसमर्पण कराया था। प्रत्यक्षदर्शी जेपी सेनानी रमेश पंकज कहते हैं कि बात 1978 की है। जेपी ने संकल्प लिया कि जिले में अपराध में शामिल लोगों को मुख्यधारा में शामिल करना है। इस अभियान में जिला सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष पचदही निवासी कामेश्वर ठाकुर, सरैया के कैलाश प्रसाद शर्मा, उत्तर प्रदेश जौनपुर के प्यारे मोहन त्रिपाठी, पूर्व विधायक कमल पासवान ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। गांधी संग्रहालय पटना में तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर, स्वतंत्रता सेनानी ध्वजा प्रसाद साहू व लोकनायक जयप्रकाश नारायण मंच पर थे। लोकनायक के सामने सभी ने हथियार डाल दिए। आत्मसमर्पण करने वालों ने संकल्प लिया कि अब हम अपराध व ङ्क्षहसा के क्षेत्र में कोई काम नहीं करेंगे। शांतिमय उपाय से जीवन में बदलाव लाएंगे। जिन लोगों ने आत्मसमर्पण किया सबको पुनर्वासित भी किया गया। आवास से लेकर रोजगार के उपाय किए गए। पुनर्वास अभियान में मुजफ्फरपुर विकास मंडल व अवार्ड नामक संस्था की भूमिका रही। जेपी के संपर्क में आने पर नक्सल आंदोलन के नेता कमल पासवान का हृदय परिवर्तन हुआ, वह मुख्यधारा में आए। बाद के दिनों में वह जनता पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए।

मुजफ्फरपुर में लोकनायक से जुड़ीं मौजूद यादें

- मुशहरी में 65 पक्का चैनल वाला नलकूप लगवाया।

- जिला उद्योग केंद्र की स्थापना व उसका संचालन मुजफ्फरपुर विकास मंडल ने किया। यह अब सरकार के हवाले है।

- वे बिहार खादी ग्रामोद्योग संघ मातृ संस्था के नियामक मंडल सदस्य रहे।  

(वरीय पत्रकार बाबा के कलम से...) 

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