नई दिल्ली-
पूरा उत्तर भारत गरमी से त्राहि-त्राहि कर रहा है. अगले तीन-चार दिन तक यह स्थिति बने रहने के अंदेशे हैं. मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट के मुताबिक, “पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों में 28अप्रैल से शुरू होकर महीने के अंत तक लू की स्थिति देखने को मिल सकती है. इसके अलावा, तापमान 43डिग्री से ऊपर रहने के अंदेशे हैं. राजस्थान में भी अधिकतम तापमान 45डिग्री सेल्सियस से ऊपर देखा जा सकता है.”
गौरतलब है कि बुधवार को बाड़मेर में अधिकतम तापमान 45.1 डिग्री, जैसलमेर में 44.4 डिग्री, बांदा में 44.2 डिग्री, अलीगढ़ में 42 डिग्री और बीकानेर में 44.1 डिग्री दर्ज किया गया था.
इस गरमी का असर देश के गेहूं उत्पादन पर भी पड़ रहा है.एक हिंदी दैनिक अखबार में छपी एक खबर के मुताबिक, “पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे देश के बड़े गेहूं उत्पादक राज्यों में इस फसल पर गर्म हवाओं (हीट वेव) का असर अधिक देखने को मिला है.”इससे किसानों को पैदावार में कमी का सामना करना पड़ रहा है.
असल में गर्मी के समय से पहले अधिक आने और पूरे मार्च के अमूमन सूखे गुजरने से गेहूं और जौ की जो फसल मई के पहले हफ्ते में पककर तैयार होती थी वह अप्रैल के दूसरे हफ्ते में ही पककर तैयार हो गई है. इससे गेहूं के दाने छोटे हुए हैं. दैनिक भास्कर के मुताबिक, “इस बार गेहूं की पछैती फसल में प्रति एकड़ 6-7 क्विंटल की कमी आ गई है.”
आंकड़ों के लिहाज से देखें, तो पिछले साल 2021-22 वाले सीजन में गेहूं की कटाई 5 मई को हुई थी. लेकिन बार, 2022-23 के सीजन मे यह कटाई करीब एक पखवाड़े पहले 20 अप्रैल को ही शुरू करनी पड़ी है. पिछले साल की प्रति एकड़ 13-14 क्विंटल पुआल समेत उत्पादन इसबार घटकर 8-9 क्विंटल प्रति एकड़ ही रह गया है.
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 2022 में हीट वेव (लू) की शुरुआत 11 मार्च से ही हो गई थी और इसका प्रभाव 25 अप्रैल तक देश के 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों पर पड़ा है. गरम हवा के इन थपेड़ों का सबसे अधिक प्रभाव राजस्थान और मध्य प्रदेश पर पड़ा है. इस अवधि में इन राज्यों में हीट वेव और गंभीर हीट वेव (सीवियर हीट वेव) के 25 दिन बीते हैं.
असल में, यह जानना जरूरी है कि हीट वेव या लू की स्थिति कब पैदा होती है. मौसम विभाग के मुताबिक अगर मैदानों में किसी जगह का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय इलाकों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ों में 30 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाती है तो इस स्थिति को हीट वेव कहा जाता है और साथ ही मौसम विभाग उस जगह को हीट वेव प्रभावित तभी घोषित करता है अगर उस जगह में तापमान सामान्य से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक हो. अगर औसत तापमान से यह अंतर 6.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो तो उसको सीवियर या गंभीर हीट वेव की स्थिति माना जाता है.
हैरत की बात यह है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद हीट वेव से सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में हिमाचल प्रदेश शामिल है. जहां इस साल अब तक हीट वेव के 21 दिन दर्ज किए जा चुके हैं.
इसके साथ ही, 25 अप्रैल तक गुजरात में 19, गोवा में 2, राजस्थान में 25, हिमाचल प्रदेश में 21, उत्तराखंड में 4, महाराष्ट्र 6, मध्य प्रदेश 25, ओडिशा 1, जम्मू और कश्मीर 16, हरियाणा 15, दिल्ली एनसीआर 15, उत्तर प्रदेश 11, झारखंड 11, बिहार 2और पंजाब में 7दिन हीट वेव के गुजरे हैं.
असल , राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में प्रति-चक्रवातीय स्थिति और पश्चिमी विक्षोभ के न आने से हीट वेव का आगमन जल्दी हुआ और गंभीर हीट वेव के दिन भी देखने को मिले हैं. जलवायु वैज्ञानिकों को अंदेशा है कि हीट वेव की यह स्थिति जून में भारत में मॉनसून के आगमन तक बनी रहेगी. जिसमें एकाध ब्रेक दिख सकते हैं.
फिलहाल, दिल्ली एनसीआर में मौजूदा हीट वेव की स्थिति इस महीने के आखिर तक बनी रहेगी. ईद के आसपास पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति उत्तर भारत में बनेगी, तो हल्की बूंदाबांदी के साथ इसमें हल्की राहत मिल सकती है.
0 टिप्पणियाँ