जकात है मानव सेवा

 नई दिल्ली-


इबादत दो प्रकार की होती है. नमाज, रोजा तथा हज शारीरिक इबादत हैं. मगर अल्लाह की राह में खर्च करना अर्थात उसके बंदों की सेवा करना माली इबादत है. इसके माध्यम से हम अल्लाह के प्रति अपनी आस्था और भक्ति प्रकट करते हैं. जकात उनमें एक है. कुरान में भी बार-बार यह कहा गया है, ‘‘नमाज कायम करो और जकात दो‘‘. इससे जकात के महत्व का अनुमान लगाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त यह एक ऐसा ‘टैक्स‘ है, जो मुस्लिम देश अपनी प्रजा पर अपनी इच्छा से लगाते हैं.

जकात का पैसा किन्हें दिया जाना चाहिए, इस संबंध में सूरह तौबा (आयत नं 60) में बता दिया गया हैः

1) दीन दुखियों को

2) किसी राज्य को चलाने में

3) गुलामी प्रथा के अन्तर्गत गुलाम मुक्त करने में

4) ठप्प पड़ै व्यवसाय को पुनः स्थापित कराने में

5) सामाजिक कार्यों जैसे पुस्तक छापने, अनुसंधान, विद्यालय खोलने, चिकित्सालय खोलने, कुंआ खुदवाने, सड़क बनवाने आदि कार्यों में

6) यात्रियों को सुविधाएं पहुंचाने के लिए

वैसे तो जो कुछ भी हमारे पास है. सब अल्लाह का दिया है. पवित्र ग्रंथ गीता में भी कहा गया हैः

तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो

तुम क्या लाए था, जिसे खो दिया

जो कुछ मिला, तुम्हें यहीं पर मिला

जो कुछ दिया, तुमने यहीं पर दिया

मगर चार वस्तुएं ऐसी हैं जिन पर जकात देना आवश्यक बताया गया है.

1) सोना (साढ़े सात तोले)

2) चांदी (साढ़े बावन तोले)

3) नगद राशि (जो कम से कम बावन तोले चांदी के मूल्य के बराबर हो)

4) व्यवसाय के लिए माल (जिसे यह सोच कर खरीदा गया हो कि कीमत बढ़ने पर बेचा जाएगा.)  उदाहरण स्वरूप, आप अगर बिल्डर हैं, तो जितने भी फ्लैट आपके पास हैं, उनका जकात देना आवश्यक है, लेकिन अगर आपने केवल किराया लगाने के लिए फ्लैट खरीदा है, तो आपको उनका जकात नहीं देना होगा.

प्रत्येक मुसलमान जब वयस्क हो जाए और साढ़े बावन तोले चांदी या उसके मूल्य के बराबर की राशि उसके पास हो, तो उस दिन को सुनिश्चित कर, उसके एक साल बाद जितनी राशि उनके पास जमा हो, उसका 40वां भाग जरूरतमंदों में बांटना होगा.

शर्त केवल यह है कि किसी का उधार नहीं लिया गया हो, वरना उधार चुकाने के बाद ही जकात दिया जा सकता है. अगर आपके पास साढ़े बावन तोले चांदी या उसके मूल्य के बराबर या उससे अधिक संपत्ति है, लेकिन आपने उसे अपनी संतान की शादी-विवाह और पढ़ाई के लिए रखा है, तो जब तक वो संतान वयस्क न हो जाए, उस पर जकात नहीं देना होगा. इस्लाम में जकात केवल वयस्कों को देने का आदेश है.

जकात रमजान में ही दिया जाए, यह जरूरी नहीं. जब कभी जकात की निश्चित की गई राशि पर एक वर्ष पूरा हो जकात दे देना चाहिए. वैसे भी शुभ काम में देर नहीं की जानी चाहिए.

कुरान में सूरह तकासुर में अल्लाह ताला फरमाते हैं, जो भी संपत्ति तुम्हें दी गई हैख् उसके बारे में अवश्य ही तुमसे पूछा जाएगा. साथ ही दूसरी जगह यह भी बता दिया गया है कि जकात न देने वाले के माल से ही उन्हें दागा जाएगा.

सही बुखारी हदीस नंबर 1403में हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बताया है कि जिन लोगों ने जकात नहीं दिया, उनका माल जहरीले और गंजे सांप की शक्ल में उनके सामने आएगा. उनकी गर्दनों से लिपट जाएगा और उनके जबड़ों को नोंच-नोंच कर कहेगा, मैं तुम्हारा माल हूं.

समझना यह है कि जिस अल्लाह ने हमें सब कुछ दिया है, उसे हमारी संपत्ति से क्या लेना-देना. वह केवल हमें यह समझाना चाहता है कि हमारे माल के ऊपर केवल हमारा ही नहीं औरों का भी अधिकार है, जिससे हम मुंह नहीं मोड़ सकते. एक मनुष्य के लिए मानव धर्म निभाना ही उसका असली धर्म है.

(शगुफ्ता-लेखिका पेशे से स्कूल टीचर हैं.)

-------------------------------------------------------------------------------------------

रक्सौल -

रक्सौल स्टेशन से आरपीएफ व जीआरपी की संयुक्त कार्रवाई में नारकोटिक्स के साथ एक युवक को दबोचा गया है। इस दौरान आरपीएफ इंस्पेक्टर ऋतुराज कश्यप व जीआरपी थानाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार यादव भी मौजूद थे। उक्त मामले की जानकारी देते हुए जीआरपी प्रभारी धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर इस कार्रवाई को की गई है। मिली सूचना के आधार पर आरपीएफ व जीआरपी की एक संयुक्त टीम बनाकर एक संदिग्ध व्यक्ति को रेलवे के सर्कुलेटिंग एरिया से चिन्हित कर रोका गया। उसके बाद उसकी तलाशी ली गई, जिसके पास से ब्राउन शुगर जैसे दिखने वाले पदार्थ को बरामद किया गया। जिसका वजन लगभग एक सौ ग्राम है। अगर वह ब्राउन शुगर है तो उसकी कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तकरीबन 10 लाख रुपए तक हो सकती है। पकड़े गए आरोपी की पहचान पश्चिमी चंपारण जिला के मनुवा पुल थाना अंतर्गत बेतिया छावनी निवासी स्व. पुनदेव चौधरी के पुत्र दीपक कुमार चौधरी के रूप में हुई है। जिससे आवश्यक पूछताछ कर जेल भेज दिया गया है।

------------------------------------------------------------------------------------------------------------

रक्सौल- 

स्थानीय प्रखंड परिसर के सभागार में शुक्रवार को एसडीएम आरती की अध्यक्षता में रक्सौल व रामगढ़वा परिक्षेत्र के मुखिया के साथ मस्तिष्क ज्वर बीमारी के प्रति जन जागरूकता अभियान चलाने के लिए एक विशेष बैठक आयोजित किया गया। जिसमें अपील किया गया कि मुखिया, वार्ड सदस्य व जनप्रतिनिधि को बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है। स्कूली बच्चों का नियमित स्वास्थ्य जांच हो, बच्चो को यह बताया जाए कि मस्तिष्क ज्वर क्या है? प्रार्थना के समय स्कूली बच्चों को जागरूक करना है, बच्चों को गुड़ खाने के सलाह भी देने को कहा गया। साथ में यह भी कहा गया कि यदि बच्चे की तबियत खराब दिख रही हो तो उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में शीघ्र ले जाएं। वहीं मुखिया व प्रतिनिधियों से अपील किया गया कि पंचायत के सभी जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर एईएस जेई बीमारी के बारे में बताएं। वही रक्सौल पीएचसी के चिकित्सा प्रभारी डॉ एस के सिंह ने कहा कि बच्चें जब बीमार पड़ते है तो लोग प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाते है जबकि स्थानीय पीएचसी में मस्तिष्क ज्वर के इलाज का समुचित व्यवस्था है। देर न कर जल्द बच्चें को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराने की जानकारी दी। मौके पर जिला से एसएमसी डॉ. कुमार, बीडीओ संदीप सौरभ, बीपीआरओ हसमुल्लाह अंसारी, अनुमंडलीय अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. एस. के. सिंह, रामगढ़वा पीएचसी नोडल पदाधिकारी डॉ. प्रहस्त कुमार, सीडीपीओ रीमा कुमारी, यूनिसेफ के बीएमसी अनिल कुमार व रामगढ़वा बीएमसी रवि रंजन कुमार सहित दोनों प्रखंड के मुखिया मौजूद थे।

--------------------------------------------------------------------------------------------------------

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ