नई दिल्ली-
दो साल पहले कोरोना ने भी चेताया, लेकिन वन क्षेत्र बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम नहीं किया गया. अधिक संख्या में वृक्ष नहीं लगाए तो ऑक्सीजन सिलेंडर जीने का सहारा बनेगा.केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 17वीं ‘भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट’ 2021 जारी की है. वनों की स्थिति को लेकर हर दो साल में रिपोर्ट जारी की जाती है.
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने वर्ष 2021 की रिपोर्ट 13 जनवरी 2022 को जारी की है, जिसके मुताबिक, भारत में 21.71 प्रतिशत भूमि पर वन है. यानि कि संकट की तरफ हम बढ़ रहे हैं और वन भू-भाग क्षेत्र को बढ़ाने के लिए अथक प्रयास करने की जरूरत है. देश में 1894 की ब्रिटिश सरकार ने वन नीति बनाई थी.

जिसके बाद भारत ने 1952 में नई वन नीति बनाई. 1988 में संशोधित किया गया. नीति के अनुसार, देश के 33 प्रतिशत भू-भाग पर वन होने आवश्यक हैं. लेकिन जो रिपोर्ट सामने आई है वह चौंकाने वाली है. सिर्फ 21.71 प्रतिशत भूमि पर वन है. यानि कि 12 प्रतिशत भू-भाग पर वन बढ़ाने की जरूरत है.
5 जून को हर साल विश्व पर्यावरण तो मनाया जाता है, लेकिन वन क्षेत्र बढ़ाने की दिशा में बेहतर प्रयास नहीं होने का परिणाम है कि देश में वन क्षेत्र कम होते जा रहे हैं. 2 साल पहले कोरोना के दौर में किस तरह ऑक्सीजन की कमी देखने को मिली थी.
इसने खतरे की घंटी का संकेत भी दिया है कि यदि वृक्ष् अधिक से अधिक संख्या में नहीं लगाए गए तो ऑक्सीजन सिलेंडर ही जीने का सहारा बनेगा. मानव जाति ने अपने संकीर्ण हितों और लापरवाही के कारण पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ दिया है.
हवा, पानी और जमीन प्रदूषित हो चुकी है. पृथ्वी पर जनसंख्या बढ़ रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आबादी 7 अरब 10 करोड़ से ज्यादा है. जरूरतों को पूरा करने के लिए स्कूलों, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आधुनिक अस्पताल, परिवहन के लिए चैड़ी सड़कें और उपजाऊ भूमि पर रातों रात भवनों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जा रहा.

वन क्षेत्रों में पंजाब प्रदेश का बुरा हाल है. यहां सिर्फ 5 से 6 फीसदी हिस्से में ही जंगल हैं, जो जीवन के लिए एक गंभीर चुनौती है. वनों की कमी का असर जलवायु पर भी साफ दिख रहा है. जानवरों की कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं.
पंजाब में कुल 150 ब्लॉक हैं जिनमें तकरीबन 122 को डार्क जोन घोषित किया जा चुका है. फिर भी पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कारखानों को ‘अनापत्ति‘ प्रमाण पत्र जारी कर रहा है. ऐसे प्रमाण पत्र स्थापित प्रदूषण जांच केंद्रों द्वारा बिना वाहनों की जांच और आवश्यक शुल्क वसूल कर जारी किए जाते हैं.
बीमारियों में वृद्धि
फैक्ट्रियों से निकलने वाले विभिन्न प्रकार के धुएं वायु को प्रदूषित कर रहे हैं. हवा में जहरीली गैसों के उच्च स्तर के कारण, श्वसन रोगों जैसे कैंसर, नेत्र रोग, त्वचा रोग, रक्तचाप, मानसिक तनाव, ब्रेन हेमरेज में वृद्धि हुई है.
सीवेज, घरों और कारखानों के पानी ने पानी को प्रदूषित कर दिया है. कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग ने खाद्य सुरक्षा के लिए किसानों की प्रतिस्पर्धा और कृषि से अधिकतम लाभ के कारण मिट्टी की उर्वरता को भी कम किया है.
इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की थीम जस्ट वन अर्थ है. यानी प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहना चाहिए. बता दें कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए पहली बार 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पर्यावरण दिवस घोषित किया गया था, जिसके बाद से 5 जून को दुनिया भर में पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
पहला संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सम्मेलन 5 जून 1972 को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन में 119 देशों ने भाग लिया था.

रिपोर्ट पर एक नजर...
-देश का कुल वन आवरण 7,12,249 वर्ग किमी है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 67 प्रतिशत है. वृक्ष आवरण 95,027 वर्ग किमी है, जो भौगोलिक क्षेत्र का 2.89 प्रतिशत है.
-कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वनाच्छादन के मामले में, शीर्ष पांच राज्य मिजोरम (84.53 प्रतिशत), अरुणाचल प्रदेश (79.33 प्रतिशत), मेघालय (76.00 प्रतिशत), मणिपुर (74.34प्रतिशत) और नागालैंड (73.90 प्रतिशत) हैं.
- 17 राज्यों,केंद्रशासित प्रदेशों का भौगोलिक क्षेत्र 33 प्रतिशत से अधिक वन आच्छादित है.
-लक्षद्वीप, मिजोरम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में 75 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र वनाच्छादित हैं.
-गोवा का वन आवरण केवल 2229 वर्ग किमी है, जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 60.21 प्रतिशत है.
-क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वन क्षेत्र वाला राज्य मध्यप्रदेश है. इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा तथा महाराष्ट्र हैं.
यूपी के इन जिलों में इतने किमी वन क्षेत्र कम हुए
सोनभद्रः 103.54 वर्ग किमी
मीरजापुरः 57.62 वर्ग किमी
चंदौलीः 11.78 वर्ग किमी
बिजनौरः 4.71 वर्ग किमी
सुलतानपुरः 1.90 वर्ग किमी
पीलीभीतः 1.38 वर्ग किमी
महाराजगंजः 1.31 वर्ग किमी
आजमगढ़ः 0.69 वर्ग किमी
लखीमपुर खीरीः 0.50 वर्ग किमी
मुजफ्फरनगरः 0.08 वर्ग किमी
यहां बढ़े वन क्षेत्र..............
सहारनपुरः 49.92 वर्ग किमी
चित्रकूटः 45.29 वर्ग किमी
प्रयागराजः 27.06 वर्ग किमी
बाराबंकीः 16.36 वर्ग किमी
बलरामपुरः 11.40 वर्ग किमी
सिद्धार्थनगर 9.30 वर्ग किमी
लखनऊः 8.33 वर्ग किमी
गोंडाः 6.98 वर्ग किमी
बहराइचः 6.01 वर्ग किमी
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