1977 में यहां से पहली बार विजयी हुए
जार्ज फर्नांडिस पांच बार मुजफ्फरपुर के सांसद रहे। 1977 में यहां से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उनका गहरा जुड़ाव हो गया। उस समय जिला उद्योग के मामले में पिछड़ा था। बेरोजगारी और गरीबी थी। पलायन था। ऐसे समय उन्होंने यहां की तस्वीर बदलने की शुरुआत की। वह जानते थे कि कुटीर एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा देकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने मुजफ्फरपुर में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विकास संस्थान के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना कराई थी। इसके माध्यम से मुजफ्फरपुर ही नहीं, राज्य के 22 जिलों में रोजगार को बढ़ावा देने का काम हो रहा है।
लिज्जत पापड़ दे रहा रोजगार
यहां की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए 1978 में लिज्जत पापड़ की इकाई उनके प्रयास से स्थापित हुई। 60 महिलाओं से शुरू इस इकाई से आज करीब 600 महिलाएं जुड़ी हैं। यह रोजगार का बड़ा साधन है। जार्ज के प्रयास से बना बेला औद्योगिक क्षेत्र 393 एकड़ में है। यहां छोटी-बड़ी दो सौ से अधिक फैक्ट्रियां हैं। हजारों लोगों को रोजगार मिला है। कांटी थर्मल पावर, मधौल पावर ग्रिड, मुजफ्फरपुर दूरदर्शन और बगहा-छितौनी रेल पुल की स्थापना उनकी देन है। वर्ष 1977 में जार्ज के प्रयास से इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (आइडीपीएल) की स्थापना हुई थी। उपेक्षा के चलते धीरे-धीरे यह यूनिट बदहाल होती गई। अप्रैल, 1996 में यूनिट से उत्पादन बंद कर दिया गया। उनकी देन भारत वैगन भी बंद हो गया। जार्ज के करीबी रहे समाजवादी डा. हरेंद्र कुमार कहते हैं कि जार्ज साहब चाहते थे कि मोतीपुर में चल रही चीनी मिल के अलावा यहां एक और मिल लगे, लेकिन उनका वह सपना पूरा नहीं हो सका।
जेल का फाटक टूटेगा, जार्ज हमारा छूटेगा
1977 के आम चुनाव में जब जार्ज ने यहां से चुनाव लडऩे की घोषणा की तो यह जमीन उनके लिए नई थी। उस समय वे जेल में थे। वहीं से उन्होंने चुनाव लड़ा। हाथ उठाए हथकड़ी वाला उनका कटआउट चुनाव प्रचार का बैनर-पोस्टर था। जेल का फाटक टूटेगा, जार्ज हमारा छूटेगा... जैसे नारे लगाए जाते थे। उनके चुनाव में युवाओं की टोली के साथ सक्रिय रहने वाले जदयू नेता प्रो.शब्बीर अहमद कहते हैं कि जार्ज की बनाई जमीन पर आज उद्योगों का विकास हो रहा है।
[लेख-वरीय पत्रकार बाबा की कलम से .....]
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